जनपथ

मेरे मस्तिष्क के आकाश में
गहरी धुन्ध
साफ़ हो जाती है
जब मैं
भारत की राजधानी के बीचों-बीच
जनपथ को
राजपथ से
कटते हुए देखता हूं!
• सरदार दलीप सिंह अलमी
पिछले दिनों मेरी तबियत के बारे में जानने को घर पर आये हिन्दी के जबरदस्त पक्षपाती मेरे पुराने मित्र गज़लकार-कवि सरदार दलीप सिंह।

मेरे मस्तिष्क के आकाश में
गहरी धुन्ध
साफ़ हो जाती है
जब मैं
भारत की राजधानी के बीचों-बीच
जनपथ को
राजपथ से
कटते हुए देखता हूं!
• सरदार दलीप सिंह अलमी
सरदार दलीप सिंह अलमी |
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