मेनका के बयान पर तूफान
केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी के बयान को जिस तरह विवाद का विषय बनाया गया है वह अस्वाभाविक नहीं है। लंबे समय से देश के किसी महत्वपूर्ण पद पर बैठे हुए व्यक्ति के मुंह से ऐसी बातें नहीं निकलीं थीं। जिनमें अल्पसंख्यकों में विशेषकर मुसलमानों के प्रति प्रश्न खड़ा करने का पहलू हो तो उससे लोग दूर ही रहने की कोशिश करते रहे हैं। इसलिए मेनका की बात से सनसनाहट जैसी स्थिति पैदा होती है। हालांकि यह विषय मुस्लिम विरोधी है ही नहीं। मेनका ने मुख्यतः तीन बातें कहीं। पहला, देश में अवैध तरीके से दुधारु गाय की बेरहमी से हत्यायें हो रहीं हैं। उन्हांेंने विशेष तौर पर पश्चिमी एशिया एवं बांग्लादेश का नाम लेते हुए कहा कि उसेे १६०० टन गोमांस का निर्यात किया जा रहा है। हालांकि पशुपालन विभाग के आंकड़ों में यह नहीं मिलेगा। दूसरे, उन्होंने कहा है कि इसे केवल एक समुदाय या मजहब तक तक सीमित नहीं। तीसरे, इसका पैसा आतंकवाद में लग रहा है। मेनका का दावा है कि चार वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश पुलिस को इससे संबंधित रिपोर्ट सौंपी गई थी।
हम रिकॉर्ड में विश्व के सबसे बड़े मांस निर्यातक हो गए हैं। भारत से जो मांस निर्यात होता है वो गाय का है, बैल का है, भैंस का है....इसके बारे में अधिकृत रिकॉर्ड सरकार ने रखा ही नहीं। यूरोप एवं अमेरिका में कहा जाता है कि भारत के निर्यात में भैंस का मांस ज्यादा है। अगर ऐसा ही है तो बैल और देसी गायें कहां विलुप्त होतीं गईं हैं? गाय और उसकी संतति बैल भारतीय किसानों की ताकत थी। बैल खेती को स्वावलंबी बनाता था। गाय हमें पुष्ट रखने के लिए दूध देती है, उसके पेशाब से आयुर्वेद की अनेक दवाईयां बनती हैं तथा उसके गोबर का उपयोग केवल खेत में ही नहीं और कई कार्यों में परंपरागत तरीके से होता रहा है। ऐसे जानवर की हत्या राष्ट्रीय अपराध होना चाहिए।
अनेक कत्लगाहों के खिलाफ गांधीवादी, अहिंसक लोग आंदोलन कर रहे हैं। गांधी जी गोवंश की हत्या के विरुद्ध थे। संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में इसे शामिल कर संविधान निर्माताओं ने भावी नेताओं से यह अपेक्षा की थी कि वे गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाएंगे। राष्ट्रीय स्तर पर इसके निषेध का कोई कानून नहीं है। केन्द्र सरकार की पूर्व नीति मांस निर्यात को बढ़ावा देने की रही है और डेयरी विकास के नाम पर इसमें कई प्रकार की छूट भी है।
आतंकवाद संबंधी आरोपों की पुष्टि उत्तर प्रदेश सरकार ही कर सकती है कि पुलिस को ऐसी रिपोर्ट मिली थी या नहीं। लेकिन आतंकवाद कहीं भी वैध धन से नहीं फैलता। अवैध तरीके से धन दिए जाने से ही जेहादी आतंकवाद का खतरनाक विस्तार हुआ है। अगर कोई मांस के अवैध निर्यात से प्राप्त धन से कुछ आतंकवादियों को मदद कर रहे हों तो इसमें आश्चर्य का कोई कारण नहीं है। हमारे यहां आतंकवादी पैदा हो रहे हैं यह सच है। तभी तो महाराष्ट्र का एक पढ़ा लिखा युवक अचानक इराक चला गया
उनकी दूसरी भी सही है। काटने वाले मुसलमान होते हैं, लेकिन उसे ढोने वाले हिन्दू हो सकते हैं, पालने वाले बेचने वाले हिन्दू हो सकते हैं। एवं आईएसआईएस के लिए लड़ते हुए मारा गया। हैदराबाद में पुलिस ने १४ युवाओं को पकड़ा जो इराक और सीरिया जा रहे थे। पता नहीं और कितने कहां से जा रहे होंगे। इनको वहां तक जाने के लिए धन कौन दे रहा है? इसकी तो जांच होनी चाहिए।
• अवधेश कुमार (साभार)