शाकाहार होता है दिल के लिए सुरक्षित आहार
जिन देशों और समुदायों में मांसाहार ही मुख्य भोजन है उनमें कैंसर, मधुमेह,
हृदय रोग आदि सहित अनेक रोग अधिक पाये जाते हैं। लोगों में यह भ्रम है कि
मांसाहार से अधिक प्रोटीन की प्राप्ति होती है। जबकि शरीर के लिए आवश्यक
प्राटीन की आपूर्ति अच्छे और उचित आहार पर निर्भर करती है। शरीर के लिए
आवश्यक 13 विटामिनों में से 11 शाकसब्जियों से ही मिल जाते हैं। धूप में
रहने से विटामिन डी स्वतः मिल जाता है। विटामिन बी-12 आंत स्थित वैक्टीरिया
स्वयं तैयार करता है। इसके लिए दूध या यीस्ट का उपयोग किया जा सकता है।
लम्बे समय से शाकाहार और मांसाहार को लेकर लोगों में पक्ष-विपक्ष में
तर्क-वितर्क और चर्चाएं होती रही हैं। यह सर्वविदित है कि भारत में
दिनोंदिन हृदय रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। जहां सन् 1984 में भारत
में 3 प्रतिशत हृदय रोगी थे और जो अब बढ़कर 14 प्रतिशत हो गये हैं। अनेक
विकसित देशों की तुलना में भारत में उम्र के लिहाज से 10 वर्ष पूर्व ही दिल
का दौरा पड़ने लगा है। लगभग 45 वर्ष की उम्र में ही हृदय रोग के कारण मरने
वालों की संख्या बढ़ रही है। इनमें से बड़ी संख्या उन लोगों की है जो विभिन्न
कारणों से समय पर अस्पताल या चिकित्सक के पास नहीं पहुंच पाते।
एक
अनुमान के अनुसार हमारे देश में ही आगामी 2 सालों में विष्व के कुल हृदय
रोगियों के 70 प्रतिशत रोगी होंगे। मांसाहार और दूध व दुग्ध उत्पादों के
साथ-साथ हमारी बदली जीवनशैली तथा खानपान की आदतों के कारण ही ऐसा हो रहा
है। बिना लाभ-हानि की चिन्ता किए ज्यादातर लोग विभिन्न खाद्य पदार्थ अपना
लेते हैं। एक पुरुष को 2700 और महिला को 2000 कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता
होती है। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा से हमें तुरन्त ऊर्जा मिलती है।
वसा से अधिक मात्रा में ऊर्जा प्राप्त होती है यानी 1 ग्राम वसा से 9
कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। वहीं 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट से लगभग 4
कैलोरी ही प्राप्त होती हैं।
जिन देशों और समुदायों में मांसाहार ही
मुख्य भोजन है उनमें कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग आदि सहित अनेक रोग अधिक पाये
जाते हैं। लोगों में यह भ्रम है कि मांसाहार से अधिक प्रोटीन की प्राप्ति
होती है। जबकि शरीर के लिए आवश्यक प्राटीन की आपूर्ति अच्छे और उचित आहार
पर निर्भर करती है। शरीर के लिए आवश्यक 13 विटामिनों में से 11 शाकसब्जियों
से ही मिल जाते हैं। धूप में रहने से विटामिन डी स्वतः मिल जाता है।
विटामिन बी-12 आंत स्थित वैक्टीरिया स्वयं तैयार करता है। इसके लिए दूध या
यीस्ट का उपयोग किया जा सकता है।
सरसों का साग, पालक और ऐसी ही
पत्तेदार हरी सब्जियों से दूध से भी अधिक कैल्शियम प्राप्त हो सकता है। इसी
प्रकार अनेक सब्जियों में मांस और मांस उत्पादों से कहीं अधिक मात्रा में
फाइबर (रेशा) होता है। इससे रक्त शर्करा का स्तर भी संतुलित रहता है।
रेशेदार यानी फाइबर युक्त भोजन के अभाव में कब्ज़ व गैस की शिकायत हो जाती
है। यही नहीं थकावट और कमजोरी का अनुभव भी होता है।
आज
विश्वभर में विशेषज्ञ भोजन में सब्जियों के अधिकाधिक उपयोग पर जोर दे रहे
हैं। डॉ. उमेश के अनुसार सब्जियों से हमें प्रचुर मात्रा में
एण्टीआऑक्सीडेण्ट्स प्राप्त होते हैं। ये एण्टीआऑक्सीडेण्ट्स प्रदूषण, बढ़ती
उम्र या अन्य कारणों से नष्ट होने वाली कोशिकाओं की क्षति को रोकते हैं।
गाजर, बन्द गोभी, फूलगोभी, ब्रोक्कोली, मीठे आलू आदि में बेटाकैरोटिन अधिक
होता है। इसमें कैंसर जैसे रोग से लड़ने वाले फाइटो कैमीकल भी होते हैं।
सब्जियों के निरन्तर भरपूर उपयोग से कोलेस्ट्रॉल पर अंकुश रहता है जिससे
दिल पर संकट के बादल नहीं मंडराते।
पुरुष हो या महिला,
सभी के लिए शाकाहार ही उपयुक्त आहार है। विशेष रूप से शाकाहार अपनाने वाली
महिलाओं को मधुमेह, पथरी आदि की सम्भावना कम होने के साथ-साथ बढ़ती उम्र में
शरीर के लिए आवश्यक खनिज पदार्थों की कमी का सामना भी नहीं करना पड़ता।
जबकि मांसाहार के चलते ऐसा नहीं हो पाता।
फल, सब्जियों,
मेवे आदि को भोजन में पर्याप्त महत्व देने से अनेक परेशानियों से बचा जा
सकता है। फलों में पानी की काफी मात्रा होती है। इनमें पाये जाने वाले
विभिन्न तत्व शरीर की मेटाबोलिक प्रक्रिया की गति बढ़ा देते हैं और
प्राकृतिक रूप से शरीर में मौजूद शर्करा उपयुक्त मात्रा में ऊर्जा भी
प्रदान करती है। विभिन्न मेवे, दालें, अनाजों आदि का भी नियमित रूप से
उपयोग करना चाहिए। इन्हें आवश्यकतानुसार 24-48 घण्टे तक पानी में गलाकर और
अंकुरित कर उपयोग में लाया जाए तो अधिक लाभ होता है। अंकुरित दाल-अनाजों को
अपने आहार में शामिल करना एक बेहतरीन आदत है। इससे फाइबर, विटामिन-ई, के
साथ-साथ अन्य खनिज-लवण-विटामिन आदि अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में प्राप्त
होते हैं। जिससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर ठीक रहता है।
सार की बात यही है कि आपके और आपके परिवार के भले के लिए शाकाहार से बेहतर कुछ नहीं।
पूर्व प्रकाशित: प्रभासाक्षी
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