आज फिर पटेल याद आ गये
डॉ विवेक आर्य
कासिम रिज़वी को ऑपरेशन पोलो के तहत गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया जहाँ वह 1957 तक सड़ता रहा। बाद में 1957 में वह माफ़ी मांग कर पाकिस्तान में शरणार्थी बनकर चला गया। 1947 से 1957 तक मजलिस पर प्रतिबन्ध रहा। इसी कासिम रिज़वी की मजलिस पार्टी को 1957 में अब्दुल वाहिद ओवैसी ने दोबारा से शुरू किया और वही अब्दुल वाहिद ओवैसी अकबरुद्दीन और असदुद्दीन का दादा था।
नेहरू-गांधी-पटेल |
जब भारत की आबोहवा में पाकिस्तान का नाम लिया जाने लगा तो निज़ाम की मतान्धता में कई गुना की वृद्धि हुई और अपने अत्याचारों को मासूम प्रजा पर जिहादी तरीके से लागू करने के लिए उसने रजाकार के नाम से एक सेना बनाई जो हथियार लेकर गलियों में झुण्ड के झुण्ड बनाकर जिहादी नारे लगते हुए गश्त करने लगे। उनका मकसद केवल एक ही था। हिन्दू प्रजा पर दहशत के रूप में टूट पड़ना। इन रजाकारों का नेतृत्व कासिम रिज़वी नाम का एक मतान्ध मुसलमान कर रहा था। इन रजाकारों ने अनेक हिन्दुओं को बड़ी निर्दयता से हत्या की थी। हज़ारों अबलाओं का बलात्कार किया गया, हजारों निरपराध हिन्दू बच्चों को पकड़ कर सुन्नत तक कर दिया था । यहाँ तक की जनसँख्या का संतुलन बिगाड़ने के लिए बाहर से लाकर मुसलमानों को बसाया गया था।
आर्य समाज के हैदराबाद के प्रसिद्द नेता भाई श्यामलाल वकील की जेल में डालकर अमानवीय अत्याचार कर जहर द्वारा हत्या कर दी गयी। MIM - Majlis-e-Ittehād-ul Muslimīn (माजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुसलमिन) की स्थापना 1927 में निज़ाम की सलाह पर उसके कुछ बाशिंदों ने करी थी जिसकी कमान बाद में कासिम रिज़वी के हाथ में आ गयी थी। आर्य समाज ने 1939 में इस हिंदुओ पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध अहिंसात्मक आन्दोलन किया। पूरे भारत से 7.5 हज़ार आर्य क्रांतिकारियों ने निज़ाम की जेलों को भर दिया जिससे की निज़ाम के राज्य में किसी अपराधी को जेल में रखने का स्थान न बचा। अहिंसा का मंत्र जपने वाले महात्मा गाँधी ने आर्यसमाज का खुलकर हैदराबाद सत्याग्रह करने पर विरोध किया जिसकी प्रतिक्रिया स्वरुप कांग्रेस का दफ्तर उसके सभी सदस्यों के त्याग पत्रों से भर गया तब जाकर गाँधी को मालूम हुआ की कांग्रेस के 85% सदस्य आर्य समाजी हैं और उन्होंने अपनी आलोचना को वापिस लिया। आर्यसमाज के इस सत्याग्रह में दो दर्जन के करीब सत्याग्रही शहीद हुए पर अंत में विजयश्री आर्यसमाज को ही मिली। निज़ाम जो दुनिया में अपने से बढ़कर किसी को भी नहीं समझता था उसे नीचा दिखा दिया गया। मजलिस ने आर्यसमाज का पुरजोर विरोध किया पर विजय अंत में सत्य की हुई। हिन्दुओं को उनके अधिकार मिले। पर आन्दोलन के बाद भी रजाकारों का अत्याचार न थमा।
1947 तक आते आते निज़ाम ने पाकिस्तान से हैदराबाद रियासत को मिलाने की बात कह दी और एक 15 मील चोड़ा कॉरिडोर हैदराबाद को पाकिस्तान से जोड़ने के लिए माँगा। कासिम रिज़वी सरदार पटेल को धमकी देने की नीयत से दिल्ली आया और सरदार पटेल से बोला कि अगर निज़ाम की मांगों को न माना गया तो उसके राज्य में रह रहे 6 करोड़ हिंदुओं की खैर नहीं होगी। सरदार पटेल ने मुस्कुराते हुए रिज़वी को कहा कि अगर हिंदुओ को कुछ भी हुआ तो निज़ाम और खुद कासिम रिज़वी अपने बच्चों की खैरियत मनाये। सरदार पटेल का कड़ा रुख देखकर रिज़वी वापिस हैदराबाद भाग गया।
अब्दुल वाहिद ओवैसी |
1947 से 1957 तक मजलिस पर प्रतिबन्ध रहा। इसी कासिम रिज़वी की मजलिस पार्टी को 1957 में अब्दुल वाहिद ओवैसी ने दोबारा से शुरू किया और वही अब्दुल वाहिद ओवैसी अकबरुद्दीन और असदुद्दीन का दादा था। पाठक अब यह आसानी से जान गए होगे की किस प्रकार इनकी पार्टी मजलिस ने पहले हिंदुयों पर अत्याचार किया उसके बाद पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाये, और अब भारत में जिहादी गतिविधियों और दंगे फसाद को फैलाने की इनकी मंशा हैं। इनका एक ही हल हैं की इन दोनों भाइयों को कासिम रिज़वी की तरह पकड़ कर या तो जेल में डाल देना चाहिए अथवा पाकिस्तान भेज देना चाहिए और इनकी पार्टी पर राष्ट्र द्रोही गतिविधियों के कारण प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए। यह कार्य अगर कोई कर सकता हैं तो केवल सरदार पटेल कर सकते हैं और इसीलिए आज फिर पटेल याद आ गये।
साभार
link: http://agniveerfans.wordpress.com/2013/01/10/sardar-patel/
http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=Dje382DaAag
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