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सोमवार, 28 जनवरी 2013

बैण्ड

अपना ‘बैण्ड’ बजाएं
अंग्रेजों की सेना जब भारत में आयी तो उनके ब्रास बैण्ड भी साथ में आये। उनको भारत के राजाओं पर हमला करना होता था तब उनका ब्रास बैण्ड बजता रहता था। बाद में जब अंग्रेज गये तो वह ब्रास बैण्ड को यहीं छोड़ गये और हमने उसको बजाना शुरू कर दिया शादी, बारातों और अनेक शुभ अवसरों पर। वैदिक और दूसरी पद्धतियों में होने वाले विवाह में जो पश्चिम की नक़ल है वह है ब्रास बैण्ड बजाकर बारात लेकर जाना।
यह पूरी की पूरी अंग्रेजों की नक़ल है। यूरोप में यह परंपरा है, खासकर इंग्लैण्ड, आयरलैण्ड, स्कॉट्लैण्ड में। यह ब्रास और बैण्ड तब बजाया जाता है जब दुश्मन पर हमला करने के लिए जाया जाता है और सेना के आगे-आगे चल कर जाते हैं ताकि सेना में जोश भरे, उत्साह भरे और दुश्मन पर जाके टूट पड़े, हमला करे। यहाँ मूर्ख भारतवासी शादियों में बारात में वो ब्रास बैण्ड लेकर जाते हैं। पता नहीं किस दुश्मन पर हमला करने जा रहे हैं!
भारत में हर शुभ अवसर पर या काम में शहनाई बजती है तो शहनाई बजाइए, बांसुरी बजाइए पर बेसुरा ब्रास बैण्ड बजाना बन्द करिए।
दिये गए लिंक पर जाकर वीडियो देखे : http://www.youtube.com/watch?v=MWL8_wGCbMQ

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