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रविवार, 21 जुलाई 2013

चायनामा

चाय को कहें बाय 
मित्रो चाय के बारे मे सबसे पहली बात यह है कि चाय हमारे देश भारत का उत्पादन नहीं है! अंग्रेज़ जब भारत आए थे तो अपने साथ चाय का पौधा लेकर आए थे! भारत के कुछ ऐसे स्थान जो अंग्रेज़ों के लिए अनुकूल (जहां ठंड बहुत होती है) थे वहाँ उन्होंने पहाड़ियो में चाय के पोधे लगवाए और उसमे से चाय पैदा  होने लगी! अंग्रेज़ अपने साथ चाय लेकर आए भारत मे कभी चाय हुई नहीं! १७५० से पहले भारत मे कहीं भी चाय का नाम और निशान नहीं था ! ब्रिटिशर आए ईस्ट इण्डिया कंपनी लेकर तो उन्होने अपने लिए चाय के बागान लगाए! क्यूँ लगाए?
चाय एक दवा है। इस बात को ध्यान से पढ़िये, चाय एक दवा है सिर्फ उन लोगो के लिए जिनका रक्त चाप  कम रहता है। और जिनका रक्त चाप सामान्य या ज्यादा रहता है चाय उनके लिए जहर है।
अब अंग्रेज़ो की एक समस्या है वो आज भी है और हजारो साल से है! सभी अंग्रेज़ो का रक्त चाप कम रहता है। सिर्फ अंग्रेज़ो का नहीं अमरीकियों का भी, कैनेडियन लोगो का भी, फ्रेंच लोगो भी और जर्मन का भी, स्वीडिश का भी...इन सबकारक्त चाप कम रहता है।
कारण यह है कि ये लोग बहुत ठंडे इलाकोँ  मे रहते हैं। उनकी ठंड का तो हम अंदाजा नहीं लगा सकते।  अंग्रेज़ और उनके आस पास के लोग जिन इलाकोँ में  रहते है वहाँ साल के ६  से ८ महीने तो सूरज ही नहीं निकलता। और आप उनके तापमान का अनुमान लगाएंगे तो -४० तो न्यूनतम है। मतलब शून्य से भी ४० डिग्री नीचे ३०  डिग्री २० डिग्री। ये तापमान उनके वहाँ समान्य रूप से रहता है क्यों कि सूर्य निकलता ही नहीं। ६ महीने धुंध ही धुंध रहती है आसमान में। ये इन अंग्रेज़ो की सबसे बड़ी तकलीफ है!
ज्यादा ठंडे इलाके मे जो भी रहेगा उनका रक्त चाप कम हो जाएगा। आप भी करके देख सकते है। बर्फ की दो सिल्लियों को खड़ा कर बीच मे लेट जायें २  से ३ मिनट मे ही रक्त चाप कम होना शुरू हो जाएगा। ५ से ८  मिनट तक तो इतना कम हो जाएगा जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। फिर आपको शायद समझ आए ये अंग्रेज़ कैसे इतनी ठंड मे रहते है। घरो के ऊपर बर्फ, सड़क पर बर्फ, गाड़ियां बर्फ मे धंस जाती हैं। बजट का बड़ा हिस्सा सरकारें बर्फ हटाने मे प्रयोग करती है। तो वो लोग बहुत बर्फ में ररहते है ठंड बहुत है रक्त चाप कम रहता है !
अब तुरंत कम रक्त चाप को ठीक करने वाला चाहिए।  मतलब ठंड से रक्त चाप कम हो गया, एक दम रक्त चाप बढ़ाना है तो चाय उसमें सबसे अच्छी है और दूसरे नम्बर पर कॉफी। तो चाय उन सब लोगों के लिए बहुत अच्छी है जो बहुत ही अधिक ठंडे इलाके मे रहते है। अगर भारत मे कश्मीर की बात करें तो उन लोगों के लिए चाय, काफी अच्छी क्यों कि ठंड बहुत ही अधिक है।
लेकिन बाकी भारत के इलाके जहां तापमान सामान्य रहता है ! और मुश्किल से साल के १५ से २० दिन की ठंड है। वह भी तब जब कोहरा बहुत पड़ता है हाथ पैर कांपने लगते है तापमान ० से १ डिग्री के आस पास होता है ! तब आपके यहाँ कुछ दिन ऐसे आते है जब आप चाय पिलो या काफी पिलो !
लेकिन पूरे साल चाय पीना और 'हर समय चाय का समय' को मानना बहुत खतरनाक है। कुछ लोग तो कहते हैं कि बिना चाय यानी बैड टी पिए तो सुबह शौच भी नहीं जा सकते। यह तो बहुत ही अधिक खतरनाक है। इसलिए उठते ही अगर चाय पीने की आपकी आदत है तो इसको बदलिए। 
नहीं तो होने वाला क्या है सुनिए- अगर आपका  रक्त चाप सामान्य है और आप ऐसे ही चाय पीने की आदत जारी रखते हैं  तो धीरे-धीरे रक्तचाप ऊपर बढ़ना होना शुरू होगा। और यह उच्च रक्त चाप फिर आपको नियमित गोलियों  तक लेकर जाएगा। तो डाक्टर कहेगा रक्त चाप कम या सामान्य करने के लिए गोलियां खाओ और ज़िंदगी भर चाय पियो जिंदगी भर गोलिया भी खाओ।  डाक्टर ये नहीं कहेगा चाय छोड़ दो वो कहेगा जिंदगी भर गोलियां  खाओ क्योंकि गोलिया बिकेंगी तो उसको भी कमीशन मिलता रहेगा। 
तो आप अब निर्णय लेलों जिंदगी भर रक्त चाप  की गोलियाँ खाकर जिंदा रहना है तो चाय पीते रहो और अगर नहीं खानी है तो चाय पहले छोड़ दो।
एक जानकारी और- आप जानते है गर्म देश मे रहने वाले लोगों का पेट पहले से ही अम्लीय होता और ठंडे देश मे रहने वाले लोगो का पेट पहले से ही क्षारीय (alkaline) होता है। गर्म देश मे रहने वाले लोगो का पेट सामान्य अम्लीयता (normal acidity) से ऊपर होता है और ठंड वाले लोगो का सामान्य क्षारीयता  (normal acidity) से भी बहुत अधिक कम। मतलब उनके रक्त की अम्लीयता हम मापें और अपने देश के लोगों की मापे तो दोनों मे काफी अंतर मिलेगा। अगर आप ph स्केल को जानते है तो हमारे रक्त की अम्लीयता ७ .४, ७.३, ७.२ और कभी कभी  ६.८ के आस पास तक चली जाती है। लेकिन यूरोप और अमेरिका के लोगों का ph +८ और +८ से भी आगे तक रहता है !
तो चाय पहले से ही अम्लीय है और उनके क्षारीय रक्त को थोड़ा अम्लीय करने मे चाय कुछ मदद करती है। लेकिन हम लोगों का रक्त पहले से ही अम्लीय है और पेट भी अम्लीय है, ऊपर से हम चाय पी रहे हैं  तो शरीर का सर्वनाश कर रहे हैं। चाय हमारे रक्त में अम्लीयता को और ज्यादा बढ़ाती जाती है।
आयुर्वेद के अनुसार रक्त में जब अम्लता बढ़ती है तो ४८ रोग शरीर मे उतपन होते है। उसमे से सबसे पहला रोग है कोलेस्ट्रोल का बढ़ना। कोलेस्ट्रोल को आम आदमी की भाषा मे बोले तो मतलब रक्त मे कचरा बढ़ना। और जैसे ही रक्त मे ये कचरा बढ़ता है तो हमारा रक्त दिल के वाहिका (नलियों ) में  से निकलता हुआ रुकावट पैदा करना करना शुरू कर देता है ! और फिर यह रुकावट धीरे-
धीरे इतनी बढ़ जाती है कि पूरी वाहिका (नली ) भर जाती है और मनुष्य को हृदयाघात या दिल का दौरा होता है। सोचिए यह चाय आपको धीरे-धीरे कहाँ तक लेकर जा सकती है। इसलिए कृपया इसे तुरंत छोड़ दें। 
अब आपने इतनी अम्लीय चाय पी पीकर जो आज तक पेट बहुत ज्यादा अम्लीय कर लिया है ! इसकी अम्लता को फिर कम करिए। कम कैसे करेंगे?
सीधी सी बात पेट अम्लीय है तो क्षारीय चीजें अधिक खाओ। क्योंकि अम्ल और क्षार दोनों को  मिला दो तो प्राकृतिक या सामान्य हो जाएगा। क्षारीय चीजों मे आप जीरे का पानी पी सकते है पानी में  जीरा डालें  बहुत अधिक गर्म करें थोड़ा ठंडा होने पर पिएं। दालचीनी को ऐसे ही पानी में डाल कर गर्म करें 

ठंडा कर पिएं। एक और बहुत अधिक क्षारीय चीज आती है वह है अर्जुन की छाल जिसका काढ़ा ४०-४५  रुपए किलो कहीं भी मिल जाता है इसको आप गर्म दूध में डाल कर पी सकते है। यह बहुत जल्दी ह्रदय की रुकावट, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रोल आदि को ठीक करता है !!
एक और बात पर आप ध्यान दें इंसान को छोड़ कर कोई जानवर चाय नहीं पीता। कुत्ते को पिला कर देखो कभी नहीं पिएगा। सूंघ कर इधर-उधर हो जाएगा। दूध पिलाओ, एक दम पियेगा। कुत्ता, बिल्ली, गाय, चिड़िया जिस मर्जी जानवर को पिला कर देखो कभी नहीं पिएगा।
और एक बात आपके शरीर के अनुकूल जो चीजें है वो आपके २० किलो मीटर के दायरे मे ही होंगी। आपके गर्म इलाके से सैंकड़ों मील दूर ठंडी पहांड़ियों मे होने वाली चाय या काफी आपके लिए अनुकूल नहीं है। वह  उनही लोगों के लिए है। आजकल ट्रांसपोर्टेशन इतना बढ़ गया है कि हमें हर चीज आसानी से मिल जाती है।  वरना शरीर के अनुकूल चीजें प्रत्येक इलाके के आस पास ही पैदा हो पाएँगी। आप चाय छोड़े अपने अम्लीय पेट और रक्त को क्षारीय चीजों का अधिक से अधिक सेवन कर अपने शरीर को स्वस्थ रखें। 
 
साभार: स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ
यहाँ click करें- https://www.youtube.com/watch?v=XSQyc_PnJy4

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